Detailed Notes on पारद शिवलिंग के फायदे

आइए जानें, इसकी आराधना और स्थापना करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.

मला समजलेला शिव तुमच्या मनातला ह्या मागील पोस्ट मध्ये मी शिवलिंग घरात पुजायचे असेल तर कोणते आणि कसे ह्याबद्दल लिहिले आहे.

हिंदू धर्म में शिवलिंग भगवान शिव का सर्वोच्च प्रतीक है और उनकी पूजा का केंद्र बिंदु माना जाता है। विभिन्न प्रकार के शिवलिंग विद्यमान हैं, जिनमें पारद शिवलिंग और स्फटिक शिवलिंग क्यों है खास ? घर में इनकी पूजा करने के लिए क्या है लाभऔर स्फटिक शिवलिंग का एक विशेष स्थान है। ये दोनों शिवलिंग अपनी विशिष्टताओं और लाभों के कारण पूजनीय माने जाते हैं। आइए, इस लेख में इन शिवलिंगों की महिमा, महत्व और घर में स्थापित करने के फायदों को विस्तार से जानें।

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विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करते हुए शालिग्राम को पंचामृत से स्नान करवाएं।

शिव पुराण के अनुसार जो लोग शिवलिंग की पूजा करके महादेव को प्रसन्न करना चाहते हैं, उन्हें सुबह के समय और दोपहर से पहले पूजा कर लेनी चाहिए. तभी ये पूजा विशेष रूप से फलदायी होती है. इसके अलावा याद रखें कि घर में जिस जगह पर शिवलिंग हों, उनके पास पूरा शिव परिवार माता गौरी, गणपति और कार्तिकेय जी को भी बैठाएं.

महागौरी- श्रीं क्लीं ह्रीं वरदायै नमः।।

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परभणी पर्यटन मृत्युंजय पारदेश्ववर मंदीर (पारद शिवलिंग)

इसे घर या दफ्तर में बने मंदिर में स्थापित करें।

ब्रह्मपुराण, वैवर्तपुराण, शिव पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में पारद शिवलिंग की महिमा का वर्णन मिलता है। शहरों के अनुसार, पारद शिवलिंग की पूजा से व्यक्ति के जीवन में चल रही सभी तरह की परेशानियां दूर होने लगती है। व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है और उसके घर में सुख समृद्धि का वास होता है। यदि घर में कोई लंबे समय से किसी बीमारी से पीड़ित हो तो उसे पारद शिवलिंग की पूजा जरूर check here करनी चाहिए। आर्थिक हानि से बचने और आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए पारद शिवलिंग की पूजा बेहद लाभकारी होती है।

दोनों ही शिवलिंग अपने आप में महत्वपूर्ण और पूजनीय हैं। पारद शिवलिंग को भगवान शिव का साक्षात् स्वरूप माना जाता है, जबकि स्फटिक शिवलिंग को स्वयंभू रूप माना जाता है। पारद शिवलिंग नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और ग्रह दोषों को कम करने में सहायक माना जाता है, वहीं स्फटिक शिवलिंग मन को शांत करने और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देने में सहायक होता है। आप अपनी आवश्यकताओं और पूजा पद्धति के अनुसार इनमें से किसी एक शिवलिंग को चुन सकते हैं।

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